हुक्काबाज़ और जुआरी रसूखदारों को छुड़वाने आधी रात उठ आए ACCU प्रभारी, 6 लाख में हुई डील

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बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में हुक्का बार के संचालन को राज्य सरकार द्वारा अवैध घोषित किए जाने और कोटपा एक्ट को सख्त किए जाने के बाद अवैध हुक्का संचालन पर नए एक्ट के तहत शायद पहली कार्रवाई बिलासपुर के सिविल लईन थानाक्षेत्र में की गई है. ACCU और सिविल लईन पुलिस की इस कार्रवाई में झोलझाल की सुगबुगाहट हो रही है.

ज़ब्त सामान से ताश की गड्डी क्यों ग़ायब कर दी गई ?

शहर के पॉश इलाके अज्ञेय नगर स्थित अनुभव गुप्ता नाम के व्यक्ति के मकान में 13 जून की रात ACCU की टीम ने दबिश देकर हुक्का पीने और पिलाने वाले 7 लोगों को पकड़ा. इन सात हुक्काबाज़ों में एक SECL का सरकारी अधिकारी भी शामिल है. ये लोग हुक्का सेवन के साथ जुआ भी खेल रहे थे. गिरफ्तार लोगों से ज़ब्त सामान में हुक्के की तमाम चीज़ों के साथ ताश की गड्डी और नकद रूपए भी शामिल हैं. लेकिन पुलिस ने मीडिया के लिए मामले की जो तस्वीर जरी की उसमें ताश की गड्डी ग़ायब है. पुलिस द्वारा जरी विज्ञप्ति में भी न ताश की गड्डी का ज़िक्र है न ही जुआ खेले जाने का.

खेल रहे थे जुआ भी पर कार्रवाई सिर्फ़ हुक्के की

ये पूछे जाने पर कि पकड़े गए लोगों पर जुआ एक्ट के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई पुलिस ने कहा कि यदि जुआ और हुक्का एक साथ चल रहा हो तो हम किसी एक पर ही कार्रवाई कर सकते हैं.

पुलिस के इस कथन की पुष्टि करने के लिए हमने क्रिमिनल मामलों के विशेषज्ञ एक सीनियर वकील से जानकारी मांगी. उन्होंने बताया कि पुलिस का ये कहना झूठ है कि वो दोनों में से किसी एक पर ही कार्रवाई कर सकती है, ऐसा कोई नियम या बाध्यता नहीं है.

थाने पहुचे मंडी अध्यक्ष

जुआ खेलते और हुक्का पीते–पिलाते पकड़े गए लोग राजनीतिक रसूख और धनाड्य परिवारों के बताए जा रहे हैं. आरोप है कि शायद इसीलिए पुलिस इनपर महरबान बनी रही.

गिरफ़्तार लोगों में से एक है बिल्हा क्षेत्र का रहने वाला अक्षत अग्रवाल. ये अक्षत अग्रवाल PDS (गरीबों को मिलने वाला सरकारी चावल) घोटाले के आरोपी चकरभाटा क्षेत्र के एक कांग्रेस नेता का रिश्तेदार है. इन लोगों के राजनीतिक रसूख की बात उस समय भी साबित हो गई जब इनके पक्ष में बिल्हा क्षेत्र के कांग्रेस नेता व बिलासपुर कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला देर रात ख़ुद सिविल लाईन थाने पहुच गए.

नेता जी के आते ही ACCU के प्रभारी भी पहुचे

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस नेता राजेन्द्र शुक्ला जैसे ही हुक्काबज़ों और जुआरियों को छुड़वाने पहुचे वैसे ही ACCU बिलासपुर के प्रभारी भी वहां आ पहुचे. दोनों की थोड़ी गुफ्तुगू के बाद गिरफ़्तार सभी रईसज़ादों को तुरन्त मुचलके पर छोड़ दिया गया और एक छोटे कर्मचारी को बलि के बकरे की तरह मुख्य आरोपी बना दिया गया. देर रात तक थाने में कई रसूखदारों और कांग्रेस नेताओं का आना-जाना लगा रहा.  शहर के एक और पुराने काँग्रेस नेता देर रात सिविल लाईन थाने के दरवाज़े तक आए, कुछ देर रुके और फिर निकल गए. पकडे गए लोगों में SECL का एक अधिकारी भी शामिल है.

सरकंडा क्षेत्र के NSUI के एक छुटभैया नेता ने इस मामले में बिचौलिये की भूमिका निभाई और एक रसूखदार का नाम हुक्का पिलाने वाली लिस्ट से कटवा कर पीने वालों की लिस्ट में शामिल करवाया ताकि उसपर ग़ैर ज़मानती धारा न लगे और वो मुचलके पर छूट जाए.

6 लाख में हुई डील

गिरफ़्तार सात लोगों में से एक को तो बलि का बकरा बनाकर जेल भेज दिया गया बचे हुए 6 लोगों को छोड़ने के लिए पर हेड एक लाख रूपए में डील हुई. बह्बलिया थाना कवर्धा का रहने वाला 18 वर्ष का ग़रीब नवीन साहू जो न हुक्का बनाना जनता है न पीना उसके हिस्से के पैसों की ज़िम्मेदारी पांच लोगों ने आपस में बांट ली. इस हिसाब से एक व्यक्ति को एक लाख बीस हज़ार रुपए देना तय हुआ. बाहर के दो लोगों से तीन-तीन लाख रूपए मंगवा कर मिशन अस्पताल रोड के शहर के एक नामी व्यवसायी के दफ़्तर में पाए जाने वाले व्यक्ति के पास पहुच गए और वहां से पुलिस के सुपुर्द कर दिए गए जिसके बाद सभी 6 लोगों को मुचलके पर छोड़ दिया गया. पकड़े गए रईसजादों के बीच ये बात तय हुई थी कि छूटने के बाद सभी बराबर पैसे जोड़कर वापस कर देंगे लेकिन छूटते ही एक लड़के के पिता ने पैसे देने से इनकार कर दिया. एक और व्यक्ति ने सिर्फ़ पचास हज़ार दे पाने की बात कही. अब पूरे 6 लाख चुकाने का भार तीन लोगों पर आ गया है.

रात डेढ़ बजे दुबारा थाने क्यों आए ACCU प्रभारी

हुक्का पीते-पिलाते और जुआ खेलते पकड़े गए रईसजादों को सिविल लाईन पुलिस के हवाले कर देने के बाद आगे की कार्रवाई का ज़िम्मा सिविल लाईन पुलिस पर था लेकिन रात डेढ़ बजे अचानक ACCU के प्रभारी का वहां आ जाना और उनके आते ही रसूखदारों का तुरन्त छूट जाना 6 लाख वाली डील की तरफ़ इशारा करता है.

ज़ब्त रकम 19300 से रातभर में 18000 कैसे हो गई

थाना स्तर के एक अधिकारी ने ज़ब्त रकम 19300  बताई लेकिन सुबह जारी विज्ञप्ति में ये रकम घटकर 18000 हो गई.

ताश की पत्तियों का ग़ायब हो जाना

विज्ञप्ति में जुए का ज़िक्र ही नहीं करना

हुक्का पिलाने वालों की लिस्ट से नाम हटाकर पीनेवाला बना देना

देर रात  नेताओं का थाने आ जाना

अचानक ACCU के प्रभारी का सिविल लाइन थाने पहुंच जाना और उनके पहुंचते ही रसूखदारों का छूट जाना

ज़ब्त रकम का रातभर में कम हो जाना…आदि आदि

ये सभी बातें उक्त कार्रवाई में गड़बड़ी की तरफ़ इशारा करती हैं और ये भी बताती हैं कि बिलासपुर SP के सराहनीय अभियान निजात को उनके ही विभाग के लोग किस तरह वसूली अभियान में बदल और बदनाम कर रहे हैं.

संचार टुडे
Author: संचार टुडे

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