जिस किन्नर को बिलासपुर RPF ने मारा उसके पक्ष में आईं ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट विद्या राजपूत
बिलासपुर. बिलासपुर रेलवे स्टेशन के RPF थाने के प्रभारी भास्कर सोनी द्वारा एक किन्नर को बुरी तरह अमानवीय तरीके से पीटे जाने की घटना ने प्रदेशभर के समाज सेवियों और संवेदनशील लोगों का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा. सभी ने इस घटना की घोर निंदा की है. छत्तीसगढ़ की ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट और तृतीय लिंग कल्याण बोर्ड, छत्तीसगढ़ शासन की सदस्य विद्या राजपूत ने संचार टुडे की इस ख़बर को विशेष रूप से संज्ञान में लिया है और बिलासपुर RPF पुलिस की कड़ी निंदा की है.
पीड़ित किन्नर रज़िया ने मीडिया को बताया कि उन्हें बिलासपुर RPF के पुरुष बंदीगृह में बन्द किया गया था और वहीँ उसके साथ बेरहमी से मारपीट की गई थी. जबकि नियमों के अनुसार यदि किसी भी थाने में कोई किन्नर पहुचे (प्रार्थी या आरोपी) तो उसके साथ महिला की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए. उसे वो सारे कानूनी अधिकार प्राप्त होते हैं जो किसी महिला को प्राप्त होते हैं. लेकिन फिर भी रज़िया किन्नर को RPF ने पुर्ष बंदीगृह में बन्द किया गया था.
आज एक अखबार ने RPF बिलासपुर के थाना प्रभारी भास्कर सोनी का पक्ष छापा है. अखबार के अनुसार भास्कर सोनी ने कहा कि “यात्री हमारे भगवान हैं उन्हें परेशान नहीं करने दूंगा” अखबार ने ये भी छापा है कि “ थर्ड जेंडरों पर RPF की टीम ने कार्रवाई करते हुए हल्का बल प्रयोग किया” अखबार में बताए अनुसार “RPF ने ट्रांसजेंडरों को स्टेशन में प्रवेश करने से रोका”. अखबार की इस ख़बर ने बड़ी चालाकी से सरे असल मुद्दों को ही गायब कर दिया. मुद्दा ये है कि ट्रांसजेंडर महिला के साथ RPF के भास्कर सोनी ने मारपीट क्यों की ? किस कानून के तहत उन्हें इस तरह के ब्रूटल वाईलेंस का अधिकार प्राप्त हुआ? यदि किन्नरों ने कोई गलती की भी होगी तो उसके लिए नियम कानून हैं कोर्ट कचहरी है. कानून तोड़ने का अधिकार कानून को भी नहीं है. ये बेसिक बात तो वर्दीधारियों को मालूम ही होनी चाहिए. और यदि सारा विवाद मारधाड़ करके ही हल करना होता तो रेलवे को RPF और GRP बनाने की ज़रुरत ही क्या होती बार के बौन्स्रों को भारती कर लेते यही काफी होता.