मस्तूरी थाना क्षेत्र में खुलेआम चल रहा अवैध जुआ

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विभाग के चर्चित “xyz” का जुआरियों को मिल रहा संरक्षण

बिलासपुर। जिला पुलिस के आला अधिकारी नित्य नए प्रयोगों और अभियानों के जरिए पुलिस की छवि सुधारने और अवैध कामों पर नकेल कसने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पुलिस के ही कुछ पुराने बदनाम लोग अवैध कामों में हिस्सेदार बने हुए हैं। जिनकी वजह से अवैध कारोबार करने वालों के हौसले बढ़े हुए हैं।

ज़िले के मस्तूरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले जोरवा इलाके में खुलेआम जुए की महफ़िल सज रही है। जोरवा क्षेत्र में दिन दहाड़े खुलेआम लाखों का दाव लगाते जुआरियों का वीडियो भी सामने आया है। मुखबिर ने बताया कि यहां बड़े पैमाने पर जुए की फील्ड बैठती है। हर रोज़ जुआरी यहां लाखों रुपए लेकर पहुंचते हैं।

मस्तूरी थाना क्षेत्र में चल रहे इस जुए में जुआरियों पर पुलिस भी हाथ डालने से कतराती है। मस्तूरी पुलिस की महरबानी का कारण पूछने पर मुखबिर ने बताया कि जो लोग ये जुआ चला रहे हैं वे बिलासपुर में पदस्थ एक पुलिसकर्मी के रिश्तेदार हैं।

मुखबिर ने बताया कि ये पुलिसकर्मी न सिर्फ़ जुआरियों को संरक्षण दे रहा है ब्लकि इसमें उसका भी पैसा लगा हुआ है।

जुआरियों की भाषा में जुए की महफ़िल को फील्ड कहा जाता है। हर जुए में कुछ पार्टनर याने हिस्सेदार होते हैं। इन हिस्सेदारों को नालदार कहा जाता है। हर नालदार एक निश्चित प्रतिशत का हिस्सेदार होता है।

नाल का मालिक नालदार

“नाल” याने वो रकम जो सारे हिस्सेदार मिलकर इकट्ठा करते हैं जिससे जुए की शुरुआत होती है। जो जुआरी अपने पैसे हार जाता है वो हरे हुए पैसे रिकवर करने के लालच में नालदारों से और पैसे उधार मांगता है। इस प्रक्रिया को जुआरी फाइनेंस करना कहते हैं। फील्ड में सिर्फ़ नालदार ही फाइनेंस कर सकता है। फील्ड में फाइनेंस इन पैसों पर भारी ब्याज वसूला जाता है। हर रोज़ जुआ खत्म होते होते लाखों की नाल जमा हो जाती है जिसे हर महीने के आख़िर में सभी हिस्सेदारों में पहले से तय प्रतिशत के अनुसार बांट लिया जाता है।

मुखबिर ने बताया कि मस्तूरी थाना क्षेत्र के जोरवा गांव में चल रहे इस बड़े जुए में बिलासपुर में पदस्थ एक आरक्षक भी नालदार है।

जुआ और सट्टा खिलाने वालों को संरक्षण देने के नाम पर ये आरक्षक हमेशा से बदनाम रहा है। कई वर्षों पहले क्राइम ब्रांच के नाम से गठित विशेष टीम में शामिल रहे इस बदनाम आरक्षक को उसकी इन्हीं हरकतों के चलते क्राइम ब्रांच बिलासपुर से निकाला गया था।

दुबारा नए नाम से गठित टीम में फिर इस बदनाम आरक्षक को शामिल कर लिया गया था। अवैध कमाई करने की आदत के चलते इसने नई टीम में भी वही करना शुरू कर दिया। जब तक ये बदनाम आरक्षक बिलासपुर की नई टीम में रहा बिलासपुर टीम की खूब फजीहत हुई। आएदिन अवैध वसूली की ख़बरें आती रहीं। एक बार फिर उसे नई टीम से भी निकाल दिया गया।

वर्तमान में ये बदनाम आरक्षक ज़िले के आला अधिकारियों आसपास पदस्थ है और ग़लत सूचनाएं उनतक पहुचा कर उन्हें भ्रमित करता रहता है। आला अधिकारी का करीबी होना बताकर अवैध कारोबारियों से मलाई भी समेटता रहता है। ज़िले के अन्य पुलिस अधिकारी इस पूरी कहानी को जानते हुए भी कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं।

संचार टुडे
Author: संचार टुडे

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