वन विभाग की नाक के नीचे हो रही सागौन की चोरी

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बिलासपुर / रतनपुर क्षेत्र में वन विभाग की नाक के नीचे से सागौन जैसी कीमती इमारती लकड़ियों की चोरी हो रही है। मंगलवार को रतनपुर थाना प्रभारी प्रशिक्षु आईपीएस अजय कुमार ने चोरी का सागौन लेजाते एक एक पिकअप वाहन पर कार्रवाई की है। अजय कुमार ने बताया कि उन्हें बेलगहना चौकी से सूचना मिली कि एक व्यक्ति भारी मात्रा में सागौन की लकड़ी चोरी कर परिवहन कर रहा है। सूचना मिलने पर उन्होंने टीम गठित कर ग्राम घासीपुर में घेराबंदी कर मौक़े से गाड़ी को भारी मात्रा में सागौन लकड़ी बिना किसी वैध काग़ज़ात के परिवहन करते हुए पाए जाने पर ज़प्त किया। कुल 19 नग सागौन पेड़ के साथ एक पिकअप पकड़ी गई। मौक़े से पिक अप का ड्राइवर उत्तम गाड़ी छोड़कर फ़रार हो गया। पुलिस ने वन विभाग को सूचित किया जिस पर वन विभाग द्वारा लकड़ी और वाहन ज़ब्त कर उसे कोटा डिपो भेज दिया गया है। जहाँ ज़ब्त वाहन के राजसात की कार्रवाई की जाएगी।

गाड़ी मालिक ने कहा ड्राइवर को धान लेन भेजा था

पुलिस ने बताया कि कोटा निवासी कुलदीप गुप्ता पकड़े गए पिकअप वाहन का मालिक है। वाहन मालिक के बताए अनुसार 20 मई को उसने अपने ड्राइवर लखोदना निवासी उत्तम को धान लेन कंचनपुर भेजा था लेकिन रात से ही ड्राइवर ने उसका फ़ोन उठाना बंद कर दिया। मालिक ने पुलिस से कहा कि इस लकड़ी के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है।

कहां से काटा गया सागौन

विश्वससनीय सूत्र ने बताया कि रतनपुर से भैंसाझार, केंदा और बेलगहना का जंगल लगा हुआ है। तीनों ही क्षेत्रों में सागौन का प्लांटेशन है। रतनपुर में महामाया कॉलेजे के पास मेन रोड पर वन विभाग का बेरियर है। इसी बेरियर पर रतनपुर पुलिस ने ये कार्रवाई की है। इस बेरियर से लगभग 3 किलोमीटर में वन विभाग द्वारा लगाया सागौन का जंगल है। सम्भावना है कि इसी जंगल से ये लकड़ी चोरी की गई है।

चोरी की लकड़ी लेकर वन विभाग के बेरियर तक क्यों आया चालक

वन विभाग के जानकारों का मानना है कि चालक पहले भी चोरी की लकड़ी वन विभाग के इस बेरियर से पार कराता रहा होगा। मुमकिन है कि विभाग के कुछ भ्रष्ट लोगों और लकड़ी तस्करों के बीच कोई साठगाँठ हो वर्ना पिकअप जैसी छोटी गाड़ी में बिना छुपाए सिर्फ़ एक पतली तिरपाल के भरोसे कोई लकड़ी चोर वन विभाग के बेरियर से चोरी की लकड़ी निकाल ले जाने का जोखिम नहीं उठाएगा। क्योंकि सागौन के 19 लट्ठों के चक्कर में लाखों की गाड़ी का जोखिम कोई नहीं उठाना चाहेगा।

विभाग की मिलीभगत के बिना चोरी मुश्किल

नाम न बताने की शर्त पर वन विभाग के ही एक कर्मचारी ने बताया कि फारेस्ट गार्ड की जानकारी और मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी मात्रा में सागौन जैसी कीमती लकड़ी का चोरी हो जाना सम्भव ही नहीं है। क्योंकि किसी भी एरिया का फॉरेस्ट गार्ड वहां का लोकल व्यक्ति होता है जो उस पूरे जंगल के चप्पे चप्पे का जानकर होता है।

संचार टुडे
Author: संचार टुडे

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