बिलासपुर RPF का अमानवीय चेहरा आया सामने, किन्नर को बेरहमी से पीटा

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बिलासपुर. हमारे ही साथ और हमारे ही आसपास रहने वाला किन्नर समुदाय जो हमारे ही जितना इंसान है. संविधान ने हमारे ही जितने अधिकार उनको भी दिए हैं. न सिर्फ़ रोटी बल्कि सम्मान की रोटी का रोटी जो अघिकार हमें प्राप्त है वो हमें भी है. लेकिन बावजूद इसके किन्नर समुदाय समाज में तिरस्कार झेल रहा है. बीते कल तकरीबन दोपहर 12 बजे बिलासपुर के किन्नरों के खराब हालत दर्शाने वाली एक घटना सामने आई.

राजकिशोर नगर के अटल आवास में रहने वाली रज़िया किन्नर को बिलासपुर रेलवे स्टेशन के RPF थाने में डंडों से बेतहाशा पीटा गया है. रज़िया के पूरे शरीर पर चोट के गहरे निशाँ हैं. रज़िया का कहना है कि RPF थाने के पोस्ट प्रभारी भास्कर सोनी और दो अन्य पुलिस वालों ने मिलकर थाने के अन्दर ही उसे बेरहमी से मारा. विदेयों में रज़िया चोट के निशान भी दिखा रही हैं.

वीडियो में देखिए विस्तृत रिपोर्ट

रज़िया ने बताया कि RPF के थाना प्रभारी ने किन्नरों के ख़िलाफ़ एक जबरिया ऐलान जारी किया हैं कि रेलवे स्टेशन के आसपास भी कोई किन्नर नज़र नहीं आना चाहिए वर्ना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. समुदाय की ही श्रेया ने बताया कि किन्नर समुदाय के बहुत से लोग बसों में, ट्रेनों में,चौक चोव्रहों में भीख मांगकर अपना जीवन यापन करते हैं. रेलवे स्टेशन भीड़भाड़ वाली जगह होती है इसलिए यहाँ से कुछ पैसे मिल जाते हैं. श्रेया ने कहा कि बिलासपुर रेलवे स्टेशन में भीख मांगने की सजा में किन्नरों पर पहले भी जुर्माना होता रहा है 1000 रुपयों का ये जुर्माना कोर्ट में जमा करना होता है लेकिन इस बार बिलासपुर RPF थाने के भास्कर सोनी ने एक किन्नर को छोड़ने के लिए 7000 रुपयों की मांग की वो भी नकद.

ज़ख़्मी हालत में ही रज़िया ने हमें बताया कि RPF थाना द्वारा मांगे गए 7000 रूपये उसने कल ही भिजवा दिए थे. दुसरे दिन सुबह वो ये जानने RPF थाने गई थीं कि आखिर उनसे किस बात के सात हज़ार रूपए लिए गए हैं. इसी बात पर भास्कर सोनी और रज़िया किन्नर के बीच कुछ कहासुनी हुई और रज़िया किन्नर को पुरुष बंदीगृह में बंद करके भास्कर सोनी और दो अन्य ने मिलकर उसे बुरी तरह मारा. ये बात समझ से परे है कि किसी को इस कदर बेरहमी से पीटने का अधिकार RPF को आखिर दिया किसने? सवाल ये भी है कि रज़िया किन्नर से किस बात के 7000 रूपए लिए गए? इसे रिश्वत कहें या RPF खुल्ली गुंडागर्दी और रंगदारी की वसूली कहें.

अपने साथ इस अमानवीय मारपीट की FIR दर्ज करवाने रज़िया किन्नर तोरवा थाने भी गई थीं लेकिन उनकी शिकायत पर अब तक FIR दर्ज नहीं की गई है. किन्नर समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकारों द्वारा किए जा रहे तमाम दावों का मखौल उड़ा रही है ये घटना और दावों का सच बता रहे हैं रज़िया के शरीर पर पड़े डंडों के निशान.

संचार टुडे
Author: संचार टुडे

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